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May 21, 2012

A Song by Kumar Vishwas


मैं भाव सूचि उन भावों की,
जो बिके सदा ही बिन तोले | 
तनहाही हूँ हर उस ख़त की,
जो पढ़ा गया है बिन खोले |
हर आसूं को हर पत्थर तक,
पहुँचाने की लाचार हूक  |
मैं सहज अर्थ उन शब्दों का,
जो सुने गए हैं बिन बोले |
जो कभी नहीं बरसा खुल कर,
हर उस बादल का पानी हूँ |
लव कुश की पीर बिना गयी,
सीता की राम कहानी हूँ |

जिनके सपनों के ताज महल,
बनने से पहले टूट गए |
जिन हाथों मैं दो हाथ कभी,
आने से पहले झूट गए |
धरती पर जिनके खोने,
और पाने की अजब कहानी है |
किस्मत की देवी मान गयी,
पर प्रणय देवता रूठ गए |
मैं मैली चादर वाले उस,
कबीरा की अमृत वाणी हूँ |
लव कुश की पीर बिना गयी,
सीता की राम कहानी हूँ |

कुछ कहते हैं मैं सीखा हूँ,
अपने झक्मो को खुद सी कर |
कुछ जान गए मैं हसंता हूँ,
भीतर भीतर आसूं पी कर |
कुछ कहते हैं मैं हूँ,
विरोध से उपजी एक खुदार विजय |
कुछ कहते हैं मैं रचता हूँ,
खुद मैं मर कर खुद मैं जी कर |
लेकिन मैं हर चतुराई की,
सोची समझी नादानी हूँ |
लव कुश की पीर बिना गयी,
सीता की राम कहानी हूँ |

2 comments:

  1. Nice expressions, simple n touching !!

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    1. Yes, he is currently one of the most famous contemporary Hindi Poet. Good entertainer.

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