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Apr 11, 2013

Main Tumhe Doondhne - Hindi Poem By Kumar Vishwas

मैं तुम्हे ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक, 
रोज़ आता रहा रोज़ जाता रहा। 
तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई,
मंच से मैं तुम्हे गुनगुनाता रहा। 
ज़िन्दगी के सभी रस्ते एक थे, 
गहरा ठहरा हुआ जल बनी ज़िन्दगी,
तुम बिना जैसे महलों में बीता हुआ, 
उर्मिला का कोई पल बनी ज़िन्दगी, 
दृष्टि आकाश में आस का एक दिया, 
तुम बुझाती रही मई जलाता रहा। 
मैं तुम्हे ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक, 
रोज़ आता रहा रोज़ जाता रहा।